लेखांकन क्या है ?

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन कहा जाता है ।
किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ?
उदाहरण :
किसी व्यवसाय में बहुत वार वस्तु खरीदा जाता है, बहुत वार विक्री होता है । खर्च भी होता रहता है आमदनी भी होता रहता है, कुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने वही में घटित घटनाओं को लिखता रहता है । यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है ।



लेन-देन के आधार पर लेखा को निम्नलिखित तीन भागों में बाटाँ गया है :
1.            व्यक्तिगत लेखा (Personal Account) :
व्यक्ति एवं संस्था से सम्बंधित लेखा को व्यक्तिगत लेखा कहते है । जैसे मोहन का लेख, शंकर वस्त्रालय का लेखा व्यक्तिगत लेखा हुआ ।
व्यक्तिगत लेखा का नियम (Rule of Personal Account) :
o             पाने वाले को नाम (Debit The Receiver)
o             देने वाले को जमा (Credit The Giver)







2.            वास्तविक लेखा (Real Account) :
वस्तु एवं सम्पति से संबंधित लेखा को वास्तविक लेखा कहतें है । जैसे रोकड़ का लेखा, साईकिल का लेखा वास्तविक लेखा हुआ ।
वास्तविक लेखा का नियम (Rule of Real Account) :
o             जो आवे उसे नाम (Debit what comes in )
o             जो जावे उसे जमा (Credit What goes out)


3.            अवास्तविक लेखा (Nominal Account)
खर्च एवं आमदनी से सम्बन्धित लेखा को अवास्तविक लेखा कहा जाता है । जैसे किराया का लेखा, ब्याज का लेखा अवास्तविक लेखा हुआ ।
अवास्तविक लेखा का नियम (Rule of Nominal Account) :
               सभी खर्च एवं हानियों को नाम (Debit all expenses and losses)
                सभी आमदनी एवं लाभों को जमा (Credit all incomes and gains)


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